Monday 7 December 2009

आज थारी पांतौ रो म्हैं पड़ग्यौ चूल्हा मंे

एक कळबी हौ। सीधो सट। वणरी बिरोत रौ घणौ धियान राखतौ। लुगाई घणी चतर री। कळबी रौ देखावटी मोन राखती। बाटी खावती टेम कळबी देखतौ के वौ भूखों जावतौ। कैतौं-मूं सेंग सोगरा खाय लूं ला तौ थूं कांव खावैला। म्है तौ अबै धापग्यौ। कळबण कैती-मूं पड़ी चूल्हा मैं। म्हारीं बलेण थें कियूं करो ? ऐक टंक नी खादोै तौ मर नीं जावूलां। मू तौ भूखी रैवा री हैवा हूं। कळबी घणी वळा देख्यौ के कदै ई तौ बाटीं नीं बचती अर कदै साग खूटतो परोै। कळबल तौ बींजी वळा चूल्हौ सेेतावती नीं। भूखी रैय जावती। कळबी जिद करतौ तौ कती-चार दिन नीं खावूं तौ मरू नी। कळबी जांणतौ के बापड़ी कितरी डाई है। एक दिन जोग सूं कळबी री चलम री कांकरी गुड ़नै चूल्हा हैटै गी परी। कळबी खांगौ हो, लांबौ हाथ करने कांकरी टंटोळतौ हौके उणरी आंगळिया अेक ठांव री रगड़क लागी। बारै काढ़यौ तौ देख के अेक मोटा बरतन में सोगरा रौ गभ्-गच्च चूरमौ भरयौ है। कळबण बाड़ा में नीरणी करण सारू गियोेड़ी ही। कळबी जटा-जट सगलौ चूरमोम मटोठग्यौ। खायां पछै बरतन पाछौ चूल्हा में पड़ै। इत्ता दिन जांणतौ के इत्ती भूखी रहंया आ कीकर दिनौ दिन माचै है, आज ठाह पड़ी। कळबण घरै आई तौ कह्यों-लौ अबै रोटी खायलौ। कळबी बौल्यौ-आज तो रौट्यौं साव थोड़ी दीसै। पैला थूं खायले। लारै बचती तौ म्हैं खाय लूं ला। आज भूख कोनी। कळबण तौ हमेसा री तरा जवाब दियौ-म्हैं पड़ी चूल्हा में। कळबी हंसनै बौल्यौं-आज तौ थारी पाती रौ म्हैं चूल्हा में पड़़ग्यों। चूल्हा में पड़णा रोतौ साव इज न्यारौ हैं। आज सावळ ठाह पड़ी। खांणा व्है तौ अे सोगरा खाय लिजौ। चूल्हा में पड़णा रै भरौसे भूखी मरैला। कळबण तौ सुणतां ईं पानी-पानी व्हैगी। कळबी कहयौ-ठैर, आज म्है थने सावळ चूल्हा में पटकूं। औ केयने वो जाणी नै सागेडी जंतराई। कहयौ-जै आज पछै यूं चूल्हा में प़ड़ी तौ म्है सांचाणी बेरा में थरकाया देवूंला। घणा दिन व्हैगा थने घर बिगाड़ी नै। बौल, फेर पड़ेल चूल्हा में। कळबण डुसक्या भरती होळै सूं बोली-कोनीं पडूं।

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